Mira (Pad) vyakhya sahit
मीरा पद हरि आप हरो जन री भीर। इस पद में मीरा ने भगवान विष्णु की भक्तवात्सल्यता का चित्रण किया है। हरि विष्णु का एक प्रचलित नाम है। मीरा ने कई उदाहरण देकर यह बताया है कि कैसे भगवान विष्णु भक्तों की पीड़ा हरते हैं। द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर। जब द्रौपदी की लाज संकट में पड़ गई थी तो हरि ने कृष्ण के अवतार में अनंत साड़ी प्रदान करके द्रौपदी की लाज बचाई थी। भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर। बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुञ्जर पीर। प्रह्लाद भी विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे। जब प्रह्लाद का जीवन संकट में पड़ गया था तब विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की थी। जब ऐरावत को मगरमच्छ ने पकड़ लिया था तो विष्णु ने मगरमच्छ को मारकर ऐरावत की जान बचाई थी। दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥ मीराबाई का कहना है कि जो भी सच्चे मन से हरि की आराधना करेगा हरि हमेशा उसका कष्ट दूर करेंगे। मीरा कहती हैं कि वो भी कृष्ण की दासी हैं। चूँकि कृष्ण हरि के ही रूप हैं इसलिए वो मीरा का भी दुख दूर करेंगे। स्याम म्हाने चाकर राखो जी, गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी। चाक...



































































Comments
Post a Comment