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Showing posts from September, 2018

Mira Bai (pad vyakhya) question Answers

मीरा   पद अभ्यास: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है? उत्तर:  पहले पद में मीरा ने हरि को याद दिलाया है कि कैसे उन्होंने अपने कई भक्तों की मदद की थी। मीरा ने द्रौपदी, प्रह्लाद और ऐरावत के उदाहरण देते हुए हरि से विनती की है कि वे मीरा के दुख को भी दूर करें। दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए। उत्तर:  मीराबाई कृष्ण के दर्शन करने का कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहती हैं। वे चाहती हैं कि दिन रात श्याम उनके सामने ही रहें। इसलिए मीराबाई श्याम की नौकरी करना चाहती हैं ताकि उन्हें श्याम को बार-बार देखने का मौका मिले। मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है? उत्तर:  कृष्ण के उस रूप का वर्णन मीरा ने किया है जो जग जाहिर है। कृष्ण के पीले वस्त्र, मोर का मुकुट और गले में वैजयंती माला बहुत सुंदर लगती है। कृष्ण जब वृंदावन में इस रूप में गाय चराते हैं तो उनका रूप मोहने वाला होता है। मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए। उत्तर:  मीराबा...

Mira (Pad) vyakhya sahit

मीरा  पद हरि आप हरो जन री भीर। इस पद में मीरा ने भगवान विष्णु की भक्तवात्सल्यता का चित्रण किया है। हरि विष्णु का एक प्रचलित नाम है। मीरा ने कई उदाहरण देकर यह बताया है कि कैसे भगवान विष्णु भक्तों की पीड़ा हरते हैं। द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर। जब द्रौपदी की लाज संकट में पड़ गई थी तो हरि ने कृष्ण के अवतार में अनंत साड़ी प्रदान करके द्रौपदी की लाज बचाई थी। भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर। बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुञ्जर पीर। प्रह्लाद भी विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे। जब प्रह्लाद का जीवन संकट में पड़ गया था तब विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की थी। जब ऐरावत को मगरमच्छ ने पकड़ लिया था तो विष्णु ने मगरमच्छ को मारकर ऐरावत की जान बचाई थी। दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥ मीराबाई का कहना है कि जो भी सच्चे मन से हरि की आराधना करेगा हरि हमेशा उसका कष्ट दूर करेंगे। मीरा कहती हैं कि वो भी कृष्ण की दासी हैं। चूँकि कृष्ण हरि के ही रूप हैं इसलिए वो मीरा का भी दुख दूर करेंगे। स्याम म्हाने चाकर राखो जी, गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी। चाक...

Questions from Kabir Das (shakhi)

कबीर   साखी अभ्यास निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है? उत्तर:  जब हम मीठी वाणी में बोलते हैं तो इससे सुनने वाले को अच्छा लगता है और वह हमारी बात अच्छे तरीके से सुनता है। सुनने वाला हमारे बारे में अपनी अच्छी राय बनाता है जिसके कारण हम आत्मसंतोष का अनुभव कर सकते हैं। सही तरीके से बातचीत होने के कारण सुनने वाले और बोलने वाले दोनों को सुख की अनुभूति होती है। दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए। उत्तर:  इस साखी में कबीर ने दीपक की तुलना उस ज्ञान से की है जिसके कारण हमारे अंदर का अहं मिट जाता है। कबीर का कहना है कि जबतक हमारे अंदर अहं व्याप्त है तब तक हम परमात्मा को नहीं पा सकते हैं। लेकिन जैसे ही ज्ञान का प्रकाश जगता है वैसे ही हमारे अंदर से अहंरूपी अंधकार समाप्त हो जाता है। ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते? उत्तर:  ईश्वर कण-कण में व्याप्त है फिर भी हम उसे देख नहीं पाते क्योंकि हम उसे उचित जगह पर तलाशते ही नहीं ह...

Kabir Das ki (shakhi) Doha by Kabir Das

कबीर   साखी ऐसी बाँणी बोलिए मन का आपा खोई। अपना तन सीतल करै औरन कैं सुख होई।। बात करने की कला ऐसी होनी चाहिए जिससे सुनने वाला मोहित हो जाए। प्यार से बात करने से अपने मन को शांति तो मिलती ही है साथ में दूसरों को भी सुख का अनुभव होता है। आज के जमाने में भी कम्युनिकेशन का बहुत महत्व है। किसी भी क्षेत्र में तरक्की करने के लिए वाक्पटुता की अहम भूमिका होती है। कस्तूरी कुण्डली बसै मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि। ऐसे घटी घटी राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥ हिरण की नाभि में कस्तूरी होता है, लेकिन हिरण उससे अनभिज्ञ होकर उसकी सुगंध के कारण कस्तूरी को पूरे जंगल में ढ़ूँढ़ता है। ऐसे ही भगवान हर किसी के अंदर वास करते हैं फिर भी हम उन्हें देख नहीं पाते हैं। कबीर का कहना है कि तीर्थ स्थानों में भटक कर भगवान को ढ़ूँढ़ने से अच्छा है कि हम उन्हें अपने भीतर तलाश करें। जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि हैं मैं नाँहि। सब अँधियारा मिटी गया दीपक देख्या माँहि॥ जब मनुष्य का मैं यानि अहँ उसपर हावी होता है तो उसे ईश्वर नहीं मिलते हैं। जब ईश्वर मिल जाते हैं तो मनुष्य का अस्तित्व नगण्य हो जाता है क्योंकि वह ईश्व...

Aadhe Adhure by Mohan Rakesh (Natak)

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